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महिला पुलिसकर्मियों की पीड़ा... आखिर जाएं तो जाए कहां : ये कैसी व्यवस्था : थानों में महिलाओं के लिए नहीं शौचालय

02-02-2023 : 01:29 pm ||

रविश सिंह परिहार खुलासा फर्स्ट… इंदौर

इंदौर स्वच्छता में लगातार छठवीं बार देश का सिरमौर बना है। ये तमगा उसे यूं ही नहीं मिला। स्वच्छ भारत मिशन के तहत केंद्र सरकार ने साफ-सफाई के साथ लोग खुले में शौच नहीं जाए इसे लेकर बड़ा अभियान चलाया। इसके तहत इंदौर में सैकड़ों शौचालय बनाए गए। आखिरकार इंदौर खुले में शौचमुक्त शहर बन गया। हालांकि महिला पुलिसकर्मियों के मामले में ये सच्चाई थोथी ही है। खुलासा फर्स्ट की पड़ताल में खुलासा हुआ कि शहर के कुछ थानों में महिला पुलिसकर्मियों के लिए शौचालय नहीं हैं, यदि है तो वह कॉमन है और उसमें पसरी गंदगी और बदबू मुंह चिढ़ाते नजर आती है। यानि महिला पुलिसकर्मियों के लिए लघुशंका बड़ी समस्या है। इसे लेकर खुलासा फर्स्ट की खास खबर...।


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2 अक्टूबर 2014 को स्वच्छ भारत मिशन की शुरुआत की थी। इसके तहत 2019 तक 9 करोड़ 80 लाख शौचालय बनाने का लक्ष्य तय किया गया। आंकड़ों की बाजीगरी में शौचालय बने भी। वर्तमान में इंदौर शहर में लगभग 700 सार्वजनिक शौचालय है जिनमें करीब 350 शुलभ शौचालय ऐसे हैं जिनमें महिलाओं को लघुशंका की सुविधा अलग से है। 


हालांकि बात अगर थानों की करें तो शहरी क्षेत्र में 36 थाने हैं। इनमें महिला थाना, ट्रैफिक थाना, अजाक थाना, सायबर सेल और एसटीएफ भी शामिल हैं। हालांकि ट्रैफिक, सायबर व एसटीएफ के भवन नए होने से वहां महिला पुलिसकर्मियों के शौचालयों की स्थिति अच्छी है, लेकिन महिला थाना और अजाक थाने में शौचालयों में साफ-सफाई का अभाव है। शहरी क्षेत्र के थानों में पदस्थ महिला पुलिसकर्मियों के लिए लघुशंका बड़ी समस्या हंै। इसे अनुशासन से जुड़े जिम्मेदार विभाग की अनदेखी या लापरवाही कहें तो गलत नहीं होगा।


रेस्टोरेंट, होटल में जाने को मजबूर

खुलासा फर्स्ट ने कई थानों की पड़ताल की तो खुलासा हुआ कि ज्यादातर थानों के टायलेट गंदे व बदबूदार हैं। इसके चलते महिला पुलिसकर्मी तो क्या, पुरुष पुलिसकर्मी भी उनमें जाना पसंद नहीं करते। ये लोग थाने के समीप रेस्टोरेंट और होटलों में शौच के लिए जाने को मजबूर है। कमोबेश यही स्थिति महिला सैनिकों के साथ भी है। कई थानों के सालों पुराने होने के चलते शौचालय जीर्ण-क्षीण अवस्था में है। कुछ थाने किराए के भवन में चल रहे हैं। इन थानों के शौचालय ना तो पुलिसकर्मियों के जाने लायक है ना ही थाने पर आगंतुकों के।


टीआई के केबिन के पीछे खुले में लघुशंका

विजयनगर थाने की ही बात करें तो यहां पुलिसकर्मी टीआई के केबिन के पीछे ही जब्त वाहनों के पास खुले में जाते हैं। संयोगितागंज थाने की बात करें तो मुख्य द्वार की बाउंड्रीवॉल की आड़ में पुलिसकर्मी लघुशंका करते हैं। वहीं परदेशीपुरा थाने में महिला पुलिसकर्मियों के लिए कॉमन टायलेट है जो कि थाने में ऐसी जगह है जहां उन्हें जाने में शर्म महसूस होती है। इसके अलावा, चंदननगर, कनाड़िया, तेजाजीनगर, लसूड़िया, बाणगंगा, राजेंद्रनगर व खजराना थाने के पुलिसकर्मी और आगंतुक थाने में ही कोई कोना ढूंढते नजर आते हैं। 


थाने और उनमें तैनात महिला पुलिसकर्मी व सैनिक

1 संयोगितागंज 3

2 खजराना 7

लसूड़िया 5

4 चंदननगर 4

5 कोतवाली 5

6 बाणगंगा 6

7 हीरानगर 6

8 विजयनगर 5

9 तिलक नगर 4

10 छत्रीपुरा 6

11 तुकोगंज 5

12 आजाद नगर 5

13 कनाड़िया 4

14 सदर बाजार 8

15 परदेशीपुरा 8

16 अन्नपूर्णा 3

17 एरोड्रम 8

18 मल्हारगंज 10

19 पलासिया 5

20 गांधीनगर 4

21 छोटी ग्वालटोली 7

22 पंढरीनाथ  0

23 एमआईजी 5

24 तेजाजी नगर 4

25- एमजी रोड 5

26 सराफा बाजार 7

27 राजेंद्रनगर 6

28 राऊ 3

29 द्वारकापुरी 5

30 रावजी बाजार 3

31 जूनी इंदौर 3

32 भंवरकुआं 5


कुल -174 +30 = 204 

(महिला नगर सैनिक सहित)


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