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Hindi News / Technology / stop fan made
खुलासा फर्स्ट… इंदौर
एसजीएसआईटीएस के पूर्व डॉइरेक्टर डॉ. पीके चांदे ने एक ऐसा पंखा तैयार किया है जो फांसी लगाने से रोकेगा। यह पंखा 3 साल की कड़ी मेहनत के बाद तैयार हुआ है। डॉ. चांदे कहते हैं 1892 में जर्मन इंजीनियर फिलिप एच डीएही ने सीलिंग फेन बनाया था, तब किसी ने भी नहीं सोचा होगा हवा देने वाला यह पंखा किसी इंसान की जान भी ले सकेगा। मैंने अपने रिश्तेदार और पड़ोसी का पंखा साफ करते वक्त गिरते देखा था। एक रिश्तेदार की ऐसे हादसे में रीढ़ की हड्डी टूट गई थी। आए दिन पंखे से लटककर लोग सुसाइड कर रहे हैं। मैंने सोचा ऐसा पंखा बनाया जाए, जो आसानी से नीचे आ जाए और दोबारा ऊपर चले जाए। मैंने कई महीनों की रिसर्च के बाद पंखे के दो मॉड्यूल तैयार किए। जब ये सफल हुए तो इसका इसका फाइनल प्रोटोटाइप तैयार किया। इसके सिस्टम की कीमत 400 से 500 रुपए है।
फांसी नहीं लग सकेगी
प्रो. चांदे ने बताया पंखे को इस तरह से डिजाइन किया गया है अगर कोई व्यक्ति फांसी लगाने की कोशिश करेगा तो पंखा नीचे आ जाएगा। व्यक्ति के हटने के बाद वापस ऊपर चले जाएगा। यह पंखा प्रोफेसर ने एसजीएसआईटीएस के सीआईडीआई यानी इन्क्यूबेशन सेंटर की मदद से तैयार किया है।
तीन सिस्टम पर काम करता है
यह पंखा तीन मैकेनिकल सिस्टम से काम करता है। पहला सिस्टम इलेक्ट्रिक कपलर, दूसरा ट्राई मोड्यूलर लॉक और तीसरा टेलिस्कोपिक पाइप है। इसमें मुख्य सिस्टम मोड्यूलर लॉक है, जिससे पंखा झटके से नीचे नहीं गिरता। लॉक तीन बार खुलता है और काम होने के बाद वापस बंद हो जाता है।
8 लाख रुपए का खर्च
प्रोफेसर ने बताया पंखे का नाम सिम डिवाइस (सेफ ईजी इफेक्टिव मेंटेनेंस ऑफ सीलिंग फेन) रखा है क्योंकि यह बहुत सुरक्षित है और इस्तेमाल में आसान है। इसका सिस्टम बनाने में वैसे तो तीन साल में 7 से 8 लाख रुपए खर्च हुए, लेकिन इसके सिस्टम की कीमत केवल 400 से 500 रुपए है।
फाइनल प्रोटोटाइप 3D टेक्निक से
एसजीएसआईटीएस के मीडिया प्रभारी एलेक्स कुट्टी ने बताया प्रोफेसर ने पंखे का फाइनल प्रोटोटाइप इन्क्यूबेशन सेंटर में लगी 3D प्रिंटिंग मशीन की मदद से तैयार किया है। प्रोफेसर ने पहले दो प्रोटोटाइप मेटल बॉडी से बनाए थे। सेंटर में लगी प्रिंटिंग मशीन 4 तरह के मटेरियल पर काम करती है।
खुद का स्टार्ट-अप
प्रोफेसर डॉ. चांदे एसजीएसआईटीएस के डॉयरेक्टर के अलावा मौलाना आजाद इंस्टिट्यूट और एनएमआईएस के डॉयरेक्टर रह चुके हैं। वे आईआईएम इंदौर और जापान की यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर के पद पर भी काम कर चुके हैं। रिटायर होने के बाद सीएस माइंड नाम से स्टार्टअप शुरू किया है।
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