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Hindi News / State / Showing syndicate of Sahil Sadiq Salman will defy the government
खुलासा फर्स्ट… इंदौर
खरगोन और दिल्ली में भड़की हिंसा को सांप्रदायिक ताकतों की साजिश माना जा रहा है, लेकिन सरकार के जिम्मेदार अफसरों की अनदेखी के कारण मध्य प्रदेश के अन्य शहरों में भी माहौल खराब हो सकता है। मप्र में तीन राज्यों महाराष्ट्र, गुजरात और राजस्थान से रोजाना कर चोरों के सिंडिकेट के जरिए सैकड़ों ट्रक बिना बिल व ई-वे बिल दिखाए महज बिल्टी पर आ रहे हैं। इन ट्रकों में क्या होता है? ये कोई नहीं जानता। करोड़ों रु. का चढ़ावा भी सेल्स टैक्स, पुलिस विभाग और चारों दिशाओं के बैरियर के अफसरों को आंख मूंदने की एवज में दिया जाता है। रोजाना २०० से ४०० गाडिय़ां बिना बिल और ई-वे बिल जांचे बिल्टी के जरिए निकालकर सरकार को करोड़ों के राजस्व का चूना लगाया जा रहा है। इस सिंडिकेट को चलाने वाली बड़ी मछलियां वर्ग विशेष की है, जिनके नाम साहिल, सादिक, सलमान, इमरान, अरशद और इकबाल हैं।
करोड़ों रुपए टैक्स चोरों की जेब में, सरकार को ठेंगा
वर्ग विशेष की वो बड़ी मछलियां, जो कर रहीं टैक्स चोरी
खुलासा फर्स्ट ने कल के अंक में खरगोन और दिल्ली में भड़की हिंसा को सांप्रदायिक ताकतों की साजिश बताते हुए चौंकाने वाला खुलासा किया था। साथ ही ये भी बताया था किस तरह मप्र में तीन राज्यों महाराष्ट्र, गुजरात और राजस्थान से रोजाना कर चोरों के सिंडिकेट के जरिए सैकड़ों ट्रक बिना बिल व ई-वे बिल दिखाए महज बिल्टी पर आ रहे हैं। इन ट्रकों में क्या होता है? ये कोई नहीं जानता। आज के अंक में खुलासा फर्स्ट वर्ग विशेष के उन नामों का खुलासा कर रहा है जिनसे सांठगांठ कर अफसर बिना जांच संबंधित ट्रकों को राज्य में आने की अनुमति दे रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार टैक्स चोर पहले टुकड़ों में बंटे थे। ये अपना काम ओशियन कार्गो नाम से करते थे। सेंधवा और पिटोल चौकी पर बिल और बिल्टी की जांच करने वाले जिम्मेदार अफसर ओशियन कार्गों की बिल्टी देखकर ट्रकों को राज्य की सीमा में प्रवेश देते थे। हालांकि टैक्स चोर प्रतिस्पर्धा में एक-दूसरे की गाड़ियों की मुखबिरी कर उन्हें पकड़वा दिया करते थे। बाद में इन्होंने एक सिंडिंकेट बना लिया। अब ये सिंडिकेट ही टैक्स चोरी की सैंकड़ों गाड़ियों की गुजरात, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ व राजस्थान की सीमा से मप्र में एंट्री कराता है। करोड़ों रु. का चढ़ावा भी सेल्स टैक्स, पुलिस विभाग और चारों दिशाओं के बैरियर के अफसरों को आंख मूंदने की एवज में दिया जाता है। बड़े स्तर पर बदमाशों और नेताओं को भी पैसा जाता है। सिंडिकेट में कौन क्या करेगा? ये जिम्मेवारी तय है। इन दलालों के तार बड़ी-बड़ी फर्म से जुड़े हैं। पीथमपुर और सियागंज की कई फर्म भी शामिल हैं। पूरे सांवेर क्षेत्र की बड़ी-बड़ी मिलों में फ्रेश, स्क्रैप और भंगार सप्लाई का काम चार साल से सिंडिकेट कर रहा हैं। दलाल सभी वर्ग के हैं लेकिन वर्ग विशेष के दलालों की संख्या ज्यादा है। ट्रकों में क्या है? और माल कहां जा रहा है ये भी नहीं जांचा जाता। ऐसे में मप्र में अनहोनी की बड़ी घटना से इनकार नहीं किया जा सकता। रोजाना 200 से 400 गाडिय़ां बिल और ई-वे बिल बिना जांचे सिर्फ बिल्टी के जरिए निकालकर सरकार को करोड़ों के राजस्व का चूना लगाया जा रहा है।
साहिल | सिंडिकेट में इसका काम बिना बिल और जीएसटी की गाडिय़ां निकलवाना है
सलमान निवासी सेंधवा | पहले ये ड्राइफ्रूट की टैक्स चोरी करता था। कुछ सालों से सिंडिकेट में है और टैक्स चोरी का काम बढ़ा रहा है
सादिक खान निवासी सेंधवा, इंदौर | ये पीथमपुर से लोकल काम संभालता है। सरिए की गाड़ियों को बिना बिल और टैक्स दिए माल गारंटी पर धार, खरगोन, बड़वानी, राजपुर, जुलवानिया, अलीराजपुर, निवाली, पलसूद, देवास, शाजापुर, मक्सी और अन्य जगह पहुंचाता है
इमरान मंसूरी निवासी सेंधवा, इंदौर | सिंडिकेट में इसका काम टैक्स चोरी की बिल्टी कम्प्यूटर से निकालकर मोबाइल द्वारा भेजना है। सिंडिकेट में इसकी गाड़ियां भी हैं। ये महाराष्ट्र और पुणे में लोहे के स्क्रैप और कॉपर की क्वाइल का काम संभालता है।
इकबाल खान निवासी सेंधवा | पहले जब वाणिज्यकर चौकी थी तब ये गुडग़ांव रहता था और अधिकारियों से सांठगांठ कर चोरी-छिपे गाड़्रियां मप्र भिजवाता था। कुछ साल पहले ही सिंडिकेट से जुड़ा है।
अरशद | ये नाबालिग था तभी टैक्स चोरी के गोरखधंधे से जुड़ गया। पांच साल से जबलपुर, सागर, सतना, बुरहानपुर और दतिया से टैक्स चोरी का सरिया एक से दूसरी जगह पहुंचा रहा है। टैक्स चोरी की बल्टियां देने के लिए इसने 26 लोगों को नौकरी पर रखा है।
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