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गौरव दिवस और ‘सेक्सी लेडी ऑन द फ्लोर’ : क्रेजी नहीं, शर्मसार किया

02-06-2023 : 02:27 pm ||

शैलेंद्र वर्मा… खुलासा फर्स्ट… इंदौर

लोकमाता देवी अहिल्या के गौरव दिवस कार्यक्रम में ‘सेक्सी लेडी ऑन द फ्लोर’ कहां से आ गई? यह क्या इंदौर का गौरव है? क्या इसी तरह इंदौर के गौरव का बखान हर साल किया जाएगा? कार्यक्रम की शुरुआत धार्मिक और उत्साहमय माहौल में हुई। ऐसा लग रहा था जैसे देवलोक से देवता भी कार्यक्रम देखकर पुष्प वर्षा कर देंगे, लेकिन उसके बाद जो सुना और देखा वह असहनीय था, इसीलिए यह टिप्पणी लिखने को मजबूर हूं। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के सामने ही गायिका अपने गायन की शुरुआत क्रेजी किया रे गाने से की और फिर इसमें ‘सेक्सी लेडी ऑन द फ्लोर’ जैसे शब्द भी गा दिए, बची कसर महिलाओं और युवाओं से सीटियां बजवाकर पूरी कर दी गई। वह भी ऐसे जिम्मेदारों के सामने जो भारतीय संस्कृति और परंपरा का झंडा, भारत को विश्व गुरु बना कर गढ़ने का दम भरते हैं। 


क्या एक महान महिला शासक के जन्म उत्सव पर एक महिला द्वारा ही इस तरह के शब्दों का प्रयोग कर गाना गाना उचित है? सीटियां बजवाना इंदौर के कौन से गौरव को बयां करता है? लोकमाता अहिल्याबाई होलकर ने मालवा और इंदौर की ख्याति हिमालय से लेकर समुद्र तक पहुंचाई थी। यह वो समय था जब राजा अपना खजाना भरते थे लेकिन माता अहिल्या ने इंदौर और मालवा को छोड़ देश के ऐसे धर्म स्थलों और मंदिरों का जीर्णोद्धार कराया जहां आज भी देशवासियों की अगाध श्रद्धा उमड़ रही है। क्या गौरव दिवस के आयोजक इतना भी नहीं समझ पाए की गायिका कौन से गाने से शुरुआत करेगी और उसके शब्द क्या हैं? क्या यह गाना इंदौर के गौरव दिवस आयोजन के लिए उचित है?  इसी मंच पर कुछ देर पहले ही कैलाश विजयवर्गीय ने शहर की बिगड़ती संस्कृति और नशे को लेकर चिंता जाहिर की थी और यह चिंता सही भी थी जिसका उदाहरण तत्काल कार्यक्रम में ही मिल गया। 


‘सेक्सी लेडी ऑन द फ्लोर’ जैसे गाने के आयोजन तो इंदौर में हर रात होते हैं। नाइट क्लब और पबों में इस तरह के परफॉर्मेंस रोजाना दिए जाते हैं। क्या गौरव दिवस आयोजन में पब संस्कृति को बढ़ावा देने वाले ऐसे अमर्यादित गानों स्थान देना उचित है? महाभारत के धृतराष्ट्र की तरह चुप रहकर ऐसे नाइट क्लब में गाए जाने वाले गानों को गौरव दिवस में कैसे शामिल होने दिया जा सकता है? इस विषय पर देवी अहिल्याबाई से जुड़े संगठनों को भी आगे आना चाहिए। अगर मां अहिल्याबाई के गौरव को चरितार्थ करना है तो जिम्मेदारों को लोगों की परेशानियों को दूर करना होगा।


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