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Hindi News / indore / Preparing to spend crores of rupees on tankers
आदित्य शुक्ला… खुलासा फर्स्ट… इंदौर
शहर सहित समूचे जिले में घर-घर पानी पहुंचाने की योजना के चलते जिले भर में 95 फीसदी घरों में पानी पहुंचने लगा है। इसके बाद भी नगर निगम के टैंकरों का संचालन बंद नहीं हो रहा है। बताया जा रहा है कि गर्मी के दिनों में पानी सप्लाय करने के लिए निगम ने टैंकरों का अधिग्रहण शुरू कर दिया है। इन टैंकरों के संचालन पर निगम करोड़ों रुपए खर्च करेगा।
मार्च से ही गर्मी ने दस्तक दे दी है। इससे आने वाले अप्रैल और मई के महीने में गर्मी अपने तल्ख तेवर दिखाएगी। गर्मी के दिनों में पानी की किल्लत शहरवासियों को परेशान कर सकती है। इसके चलते नगर निगम के नर्मदा प्रोजेक्ट विभाग ने टैंकरों का अनुबंध शुरू कर दिया है। हर वर्ष पानी के टैंकर चलाने पर निगम करोड़ों रुपए खर्च करता है। इस खर्च को बचाने के लिए महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने अफसरों को हिदायत दी थी कि टैंकरों का संचालन बंद करने की योजना बनाई जाए। लेकिन महीनों बीतने के बाद भी अफसरों ने टैंकर बंद करने की कोई योजना नहीं बनाई।
गर्मी की शुरुआत होते ही शहर भर में टैंकर चलाने के लिए उनका पंजीयन शुरू कर दिया है। इससे हर वर्ष की तरह ही इस वर्ष भी निगम के करोड़ों रुपए पानी पर खर्च होंगे। गौरतलब है कि गर्मी में टैंकर निगम के नाम पर चलाने के लिए शहर के अधिकतर नेताओं ने टैंकरों की मरम्मत कराकर उनको तैयार करना शुरू कर दिया है। ज्ञात रहे कि बीते दिनों कलेक्टर की अध्यक्षता में हुई बैठक में बताया गया कि जिले के 95 फीसदी घरों में नल से पानी पहुंचने लगा है। इसके बाद भी निगम द्वारा टैंकर चलाकर लगभग दस करोड़ से अधिक रुपए खर्च करने की तैयारी की जा रही हैं।
नगर निगम की टैंकर बंद करने की योजना कागजों में सिमटी, गर्मी के लिए टैंकरों का होने लगा अनुबंध
एक टैंकर ढाई हजार का
नगर निगम द्वारा निजी टैंकर चलाकर पानी सप्लाय किया जाता है। उन टैंकरों का प्रतिदिन का किराया 2500 रुपए होता है। शहर में हर वर्ष लगभग पांच सौ टैंकर चलाए जाते हैं। नगर निगम जोनल कार्यालय पर पंजीयन कराने वाले कितने टैंकर पानी सप्लाय करते हैं कितने खड़े रहकर ही निगम से किराया वसूलते हैं। इसकी जांच भी कभी नहीं होती है। हालांकि निगम हाईड्रेंट पर एक कर्मचारी रखता है, जो टैंकर भरे जाने पर इंट्री करता है, लेकिन वह पानी कहां जा रहा है इसकी कोई इंट्री नहीं होती है। इस तरह इस वर्ष लगभग पांच सौ टैंकर चलाने पर निगम को करीब साढ़े सात करोड़ रुपए खर्च होंगे।
पानी का धंधा
नगर निगम रजिस्टर्ड ठेकेदारों के ही टैंकर निगम चलाता है। इसके चलते कई टैंकर निगम में रजिस्टर्ड होने के बाद घर, दुकान व फैक्ट्रियों में पानी बेचने का धंधा करते हैं। इस तरह टैंकर संचालक दोहरी कमाई करते हैं। पानी बेचने की हर वर्ष बड़ी संख्या में शिकायतें निगम में पहुंचती है। लेकिन नर्मदा प्राजेक्ट के अफसर सभी मामलों को कागजों में ही रफादफा कर देते हैं। जबकि टैंकर चालक धड़ल्ले से पानी का धंधा करते रहते हैं।
शहर में पानी सप्लाय करने के लिए जरुरत होने पर टैंकर चलाए जाते हैं।
संजीव श्रीवास्तव, अधीक्षण यंत्री नर्मदा प्रोजेक्ट
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