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Hindi News / politics / Maharashtra Deputy Chief Minister Fadnavis spoke at the 70th session of Brihanmaharashtra Mandal

बृहन्महाराष्ट्र मंडल के 70वें अधिवेशन में महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री फडणवीस बोले : सावरकर को भारत रत्न मिले न मिले, वह वैसे ही देश के रत्न

26-02-2023 : 01:17 pm ||

खुलासा फर्स्ट… इंदौर

बृहन्महाराष्ट्र मंडल के 70वें अधिवेशन का आयोजन किया गया। इसमें महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस भी शामिल हुए। कार्यक्रम के दौरान फडणवीस के सामने अलग-अलग प्रांतों से आए मराठी भाषियों ने नारे लगाए कि वीर सावरकर को भारत रत्न मिलना चाहिए। इसके बाद फडणवीस ने अपने भाषण में कहा कि वीर सावरकर को भारत रत्न मिले न मिले, वह वैसे ही देश के रत्न हैं। वह किसी पुरस्कार के मोहताज नहीं हैं। फिर भी महाराष्ट्र सरकार ने केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा है कि सावरकर को भारत रत्न दिया जाए। 


उन्होंने कहा कि मराठी भाषियों ने देश में अलग पहचान कायम की है। जब भी देश को जरूरत पड़ी, तब उन्होंने अपनी भूमिका निभाई है। मुगलों के आक्रमण के बाद जिस तरह का हाहाकार देश में मचा था तब छत्रपति शिवाजी ने हिंद स्वराज की स्थापना की। अहिल्याबाई ने पुराने मंदिरों को पुनर्जीवित कर संस्कृति को बचाने का काम किया। मराठी युवा भी हर क्षेत्र में नाम कमा रहे हैं। महाराष्ट्र पूरे देश की औद्योगिक राजधानी है। फडणवीस ने कहा कि मैं 25 साल पहले पहली बार इंदौर आया था, उसके बाद आना-जाना लगा रहा। मैं फूडी हूं और इंदौर खाऊ संस्कृति की राजधानी है। इस बार थोड़ी देर के लिए आया हूं, लेकिन मन नहीं माना। मैंने गोलू शुक्ला को सराफा से कुछ खाने को लाने के लिए कहा। इससे मैं मानता हू कि महाराष्ट्र औद्योगिक राजधानी है तो इंदौर खाऊ संस्कृति की राजधानी है।


समाज की जिम्मेदारी कुरीतियों को रोकने की भी 

सम्मेलन के पहले सत्र में पूर्व सरसंघचालक भैयाजी जोशी ने कहा कि संस्कृति, भाषा और संस्कार को संभालने की जिम्मेदारी के साथ समाज की जिम्मेदारी कुरीतियों को रोकने की भी है। समाज में कुछ टेढ़े लोग भी होते हैं, जो समाज का भला नहीं चाहते, उन्हें भी रोकना चाहिए। भैयाजी ने कहा कि महाराष्ट्र को लोकमान्य तिलक, वीर सावरकर और गोपाल कृष्ण गोखले जैसे महापुरुषों ने पहचान दी है। शिवाजी ने देश विरोधी ताकतों को पैरों के नीचे रखा। महाराष्ट्र सामाजिक परिवर्तन वाला प्रदेश है। महाराष्ट्र की संत परंपरा की इसमें बड़ी भूमिका रही है। सम्मेलन में पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन, महापौर पुष्यमित्र भार्गव सहित बड़ी संख्या में दूसरे शहरों से आए अतिथि भी शामिल हुए।


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