https://khulasafirst.com/images/b5f3b175f01dc9f072438091e1fd3a40.png

Hindi News / state / Had to return after visiting two three Dhams in Chardham Yatra

चारधाम यात्रा में दो-तीन धाम की यात्रा कर लौटना पड़ रहा : इंदौर के 19 यात्रियों के दल ने बताए चारधाम के अनुभव

26-05-2023 : 01:04 pm ||

केदार के दर पर मौसम और अनियंत्रित भीड़ से श्रद्धालु परेशान 

खराब मौसम के कारण तीर्थयात्रियों को जगह-जगह रोका जा रहा है। इससे यात्रा के शेड्यूल के साथ बजट भी गड़बड़ा रहा है।चारों धामों की यात्रा की प्लानिंग करके आने वाले कई श्रद्धालुओं को मजबूरी में दो-तीन धाम की यात्रा करके ही लौटना पड़ रहा है। सबसे ज्यादा मुश्किलें खराब मौसम के कारण हो रही हैं। कई लोगों की अत्यधिक सर्दी से तबीयत खराब हुई है। इंदौर के 19 सदस्यों के दल ने चारधाम यात्रा के अपने अनुभव खुलासा फर्स्ट से साझा किए। 


केदारनाथ के लिए सोनप्रयाग तक वाहन से आ सकते हैं। फिर पांच किमी शटल वाहनों से गौरीकुंड जाते हैं। गौरीकुंड से 19 किमी का पैदल मार्ग है। गौरीकुंड की ऊंचाई समुद्र तल से लगभग 1,800 मीटर है। ये उतनी ही ऊंचाई है, जितनी मसूरी जैसे हिल स्टेशन की होती है। दोपहर में गौरीकुंड में अधिकतम तापमान 20 से 24 डिग्री तक रहता है। एडवोकेट आशीर्वाद जोशी ने बताया कि केदारनाथ पर यात्रा दौरान के जहां 2950 रुपए घोड़े और खच्चरों का शासकीय रेट तय है। इसके बाद भी यहां लोगों से 4 हजार रुपए तक वसूली की जा रही है। इसी तरह के हालात होटलों और लॅाज में 4 से 6 हजार रुपए तक लिए जा रहे है। यहां टेंट तक में सोने के लिए लोगों से 1 हजार रुपए तक लिए जा रहे हैं। यात्रियों की इतनी भीड़ है कि होटल वाले भी अब मनमानी पर उतर आए हैं। 


रुद्रप्रयाग और सीतापुर में गाड़ी की पार्किंग का स्टैंड फुल होने के बाद लोगों अब पहाड़ों पर कहीं भी पार्किंग कर रहे हैं। इससे जाम की समस्या से सबसे ज्यादा परेशान होना पड़ा है। पैदल जाने वाले लोगों की सत्यापन के लिए 2 किमी की कतार लगी हुई है। गौरीकुंड के अंदर छोटी-छोटी गलियों में इतनी भीड़ है कि लोगों का निकलना तक मुश्किल है। ओले और बारिश के कारण कभी मौसम खराब होने से सबसे ज्यादा परेशानी बच्चे लेकर जाने वाले यात्रियों को हो रही है। केदारनाथ, यमनोत्री, गंगोत्री और बद्रीनाथ सभी धामों में भीड़ होने के कारण स्थिति काफी खराब हो रही है। केदारनाथ में जहां यात्रियों को जाने से पहले रोकने की व्यवस्था भी प्रशासन द्वारा नहीं की जा रही  है। केवल रुद्रप्रयाग में जहां पहले कुछ दिनों के लिए यात्रियों को रोकने की व्यवस्था की थी, लेकिन अब बड़ी संख्या में लोग केदारनाथ पहुंच रहे जिससे यहां स्थिति खराब होती जा रही है। पुलिस और प्रशासन भी भीड़ के आगे बेबस दिखाई दे रहा है। गंगोत्री में प्रशासन के शानदार इंतजाम है यहां यात्रियों को सबसे कम परेशानी हो रही है। 


ऊंचाई के साथ बदलते मौसम से परेशान यात्री 

केदारनाथ के लिए जैसे ही श्रद्धालु 6 किमी पैदल यात्रा करके जंगलचट्टी पहुंचते हैं। वहां ऊंचाई 2,650 मी. हो जाती है। यहां से 7 किमी चढ़ाई के बाद आता है रामबाड़ा, जिसकी ऊंचाई 2,800 मी. है। यहां से रुद्र पाइंट की 4 किमी की चढ़ाई यात्रियों को सबसे ज्यादा भारी पड़ रही है।क्योंकि यहां अमूमन बारिश और कोहरा रहता है। बारिश से भीगे लोगों में बर्फीली हवाएं ठिठुरन पैदा कर देती हैं। गौरीकुंड से केदारनाथ का रास्ता बहुत संकरी घाटी से गुजरता है। यहां अमूमन रोज बारिश होती है। हल्के गर्म कपड़ों में आए लोग पहले बारिश से भीगते हैं। मगर तब चढ़ाई की वजह से शरीर की गर्मी से उन्हें ठंड महसूस नहीं होती, लेकिन जैसे ही वे गीले कपड़ों के साथ केदारनाथ पहुंचते हैं, तो वहां ऊंचाई 3,583 मीटर हो जाती है। यहां कई बार तापमान शून्य डिग्री तक पहुंच जाता है। जैसे ही शरीर का तापमान सामान्य होता है, तो भीषण सर्दी महसूस होने लगती है। इसके बाद शुरू होती है असली परीक्षा। क्योंकि, इसी हालत में उन्हें दर्शन के लिए घंटों लाइन में लगकर इंतजार करना पड़ता है।


गंगोत्री ः लगभग तीन किलोमीटर लंबी कतारें लगीं

यहां टोकन सिस्टम बनाया गया है। दावा था कि इससे लंबी लाइन में नहीं लगना पड़ेगा। लेकिन लचर यात्रा प्रबंधन के कारण यह दावा हवाई साबित हुआ। इसके अलावा यात्रा पंजीकरण के लिए भी तीर्थयात्रियों को घंटों लाइन में लगना पड़ रहा है। लगभग तीन-तीन किलोमीटर लंबी कतारें लग जाती हैं।


बद्रीनाथः जोशीमठ क्रॉस करने में 6 घंटे लग रहे

ऋषिकेश से जोशीमठ के 10 किमी के सफर के बाद जोशीमठ क्रॉस करने में 6 घंटे लग रहे हैं। रोड पर काम चलने से जाम लगता है। कई बार जोशीमठ में रुकना पड़ता है। यहां आपदा प्रभावितों के कारण कई होटल फुल हैं। बद्रीनाथ में भी होटल और धर्मशालाएं बुक हो चुकी हैं।


यमुनोत्री: संकरे मार्ग पर घंटों इंतजार की मजबूरी

भैरव मंदिर से आगे संकरे मार्ग पर घंटों इंतजार की मजबूरी। जानकीचट्टी तक वाहन जा रहे हैं। फिर 5 किमी का पैदल रास्ता है। संकरे मार्ग पर अक्सर जाम लगता है। भैरव मंदिर से आगे श्रद्धालुओं को घंटों इंतजार में खड़े रहना पड़ता है। साथ ही बड़कोट और जानकीचट्टी में पर्याप्त पार्किंग भी नहीं है।


शक्तिपीठ नैथना देवी मंदिर भी सड़क से जुड़ा

द्वाराहाट (अल्मोड़ा) | शक्तिपीठ नैथना देवी मंदिर में ग्राम युवा समिति की ओर से श्रीमद्भागवत महापुराण यज्ञ आयोजित किया जा रहा है। विधायक मदन बिष्ट ने भी शनिवार को वहां पहुंचकर मंदिर को जोड़ने के लिए उनकी निधि से बनी छह सौ मीटर लंबी सड़क का शुभारंभ किया। सड़क बनने से मंदिर में पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ने की उम्मीद है।


इससे पूर्व मंदिर पहुंचने पर विधायक का स्वागत किया गया। इसके बाद मंदिर में कई अनुष्ठान हुए। बाद में वहां श्रीमद्भागवत महापुराण यज्ञ का शुभारंभ हुआ। इससे पहले मंदिर परिसर में कलशयात्रा निकाली गई। आरती, भजन कीर्तनों का दौर भी चलता रहा। राष्ट्रीय कथा वाचक आचार्य गोदास जी महाराज ने कथा सुनाई। शेखर पाठक और ममता पाठक यजमान हैं। नैथना ग्राम समिति महासचिव हरीश सिंह रौतेला, उपाध्यक्ष देव सिंह बिष्ट, नौबाड़ा के प्रधान हीरा सिंह रौतेला, डंगरखोला प्रधान नवीन पुरोहित, ख्याल सिंह पटवाल, चतुर सिंह भाकुनी, दयाल सिंह रावत, प्रताप बिष्ट, बीडी छिम्वाल, मोहन चंद्र उप्रेती आदि ने सड़क के लिए विधायक का आभार जताया।


ऋषिकेश आने वाले ट्रैफिक को डायवर्ट करने से व्यापारी खफा

ऋषिकेश आने वाले ट्रैफिक को नेपाली फार्म से छिद्दरवाला की तरफ मोड़ने पर नगर उद्योग व्यापार प्रतिनिधिमंडल ने नाराजगी जताई है। उन्होंने प्रशासन पर ऋषिकेश में व्यापार ठप करने का आरोप लगाया। उन्होंने इसे तुरंत बदलने की मांग की है।


शनिवार को नगर उद्योग व्यापार प्रतिनिधिमंडल ने प्रशासन के रवैये पर नाराजगी जताई। नगर उद्योग व्यापार प्रतिनिधिमंडल के शहर अध्यक्ष ललित मोहन मिश्र ने कहा कि ऋषिकेश शहर की तरफ आने वाले ट्रैफिक में बदलाव किए जाने से व्यापारियों को भारी नुकसान हो रहा है। उन्होंने कहा कि प्रशासन द्बारा नेपाली फार्म तिराहे से ट्रैफिक को छिद्दरवाला की तरफ मोड़नागलत है। इससे ऋषिकेश का व्यापार चौपट हो रहा है। यात्रियों के ऋषिकेश ना आने से व्यापारी परेशान हैं। उन्होंने यात्रा काल में सड़क निर्माण और अन्य कार्य शुरू करने पर भी नाराजगी जताई। कह कि यह कार्य चारधाम यात्रा शुरू होने से पहले ही कर लेने चाहिए थे। लेकिन अब इन कार्यों के चलते जगह-जगह जाम लग रहा है। प्रशासन अपनी विफलता को छुपाने के लिये व्यापारियों के पेट पर लात मार रहा है। कहा कि श्यामपुर तिराहे पर ऋषिकेश का साइन बोर्ड बाईपास की तरफ लगा है, प्रशासन खुद टूरिस्ट को भ्रमित कर रहा है। उन्होंने जल्द ही ट्रैफिक में किए गए बदलाव को ठीक करने की मांग की। कहा कि अगर इसे ठीक नहीं किया गया तो आंदोलन किया जाएगा।


बदरीनाथ में स्थापित होगी होमगार्ड सहायता डेस्क

बदरीनाथ में दर्शनों के लिए आने वाले तीर्थयात्रियों की सहायता के लिए होमगार्ड एवं नागरिक सुरक्षा विभाग की ओर से सहायता डेस्क स्थापित की जाएगी। इस संबंध में जिला कमांडेंट होमगार्ड्स श्यामेंद्र कुमार साहू ने आदेश जारी किए हैं। आदेश में कहा गया कि बदरीनाथ धाम में तैनात होमगार्ड के जवान धाम में आने वाले श्रद्धालुओं जो अत्यंत वृद्ध, असहाय, दिव्यांग हैं उनको दर्शन कराने में सहयोग करें। धाम में उचित स्थान चिह्नित करते हुए होमगार्ड सहायता डेस्क स्थापित की जाए। यहां पर हर समय दो होमगार्ड तैनात रहेंगे। हेल्प डेस्क में बैनर लगाकर मोबाइल नंबर भी दर्ज किया जाएगा। सहायता लेने वाले यात्रियों से उनके अनुभव भी रजिस्टर में दर्ज कराए जाएंगे। हर दिन के कार्य की सूचना कमांडेंट होमगार्ड कार्यालय चमोली को भेजी जाएगी। 


अनियंत्रित तीर्थयात्रा पर चेतावनी, निर्माण को बताया हिमालय के लिए खतरा

उत्तराखंड में चारधाम यात्रा को लेकर विशेषज्ञों ने चिंता जताई है। विशेषज्ञों का मानना है कि प्रदेश में अनियंत्रित तीर्थयात्रा और लगातार हो रहे निर्माण खतरा पैदा कर रहे हैं। उनका मानना है कि बेरोकटोक निर्माण बड़े खतरे के संकेत हैं। इसके अलावा हजारों तीर्थयात्री प्रतिदिन उत्तराखंड के ऊपरी इलाकों में जाते हैं, जो नाजुक हिमालयी क्षेत्र के लिए गंभीर खतरा है।


प्रदेश में लगातार भूस्खलन की खबरें भी सामने आ रही है। दूसरी तरफ जोशीमठ में घरों में पड़ी दरारों के कारण लोग अपने घर छोड़ने को मजबूर हो रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि पर्यावरणविद् सड़क विस्तार परियोजना को एक अन्य कारक के रूप में इंगित करते हैं जो क्षेत्र की स्थिरता के लिए गंभीर जोखिम पैदा करता है। ये पहले से ही जलवायु-संचालित आपदाओं के लिए अत्यधिक संवेदनशील है।


जैविक विविधता के लिए खतरा

पर्यावरण कार्यकर्ता अतुल सती के अनुसार, चार धाम यात्रा के लिए राज्य में आने वाले तीर्थयात्रियों की संख्या पर उत्तराखंड सरकार का निर्णय गंभीर चिंता का विषय है। पहले यमुनोत्री धाम में 5,500 तीर्थयात्री, गंगोत्री में 9,000,  बदरीनाथ में 15,000 और केदारनाथ 18,000 तीर्थयात्रियों की संख्या सीमित की गई थी।


अतुल सती का कहना है कि बदरीनाथ और अन्य तीर्थ स्थलों पर प्रति दिन हजारों तीर्थयात्रियों की बढ़ती संख्या के साथ-साथ वाहनों की संख्या में वृद्धि और आसपास के क्षेत्र में लापरवाह निर्माण परियोजनाएं क्षेत्र की पारिस्थितिक और जैविक विविधता के लिए एक खतरा पैदा कर रही हैं।


कई जगहों पर धंस रही जमीन

अतुल सती ने कहा कि चार मई को सड़क चौड़ीकरण के दौरान जोशीमठ के रास्ते में हेलंग में एक पहाड़ टूट गया। जोशीमठ के बाद, उत्तराखंड में और भी कई जगहों पर जमीन धंस रही है। हर दिन हम सड़कों पर भूस्खलन के कारण लोगों की जान जाने के बारे में सुनते हैं। भूवैज्ञानिक सीपी राजेंद्रन ने कहा कि ग्लेशियरों के पिघलने और जैव विविधता पर गंभीर प्रभाव के साथ पर्यावरणीय गिरावट का भी परिणाम हो सकता है। कहा कि उत्तराखंड हिमालय के ऊंचाई वाले कई क्षेत्रों में दुर्लभ औषधीय पौधे पाए जाते हैं, जो जलवायु परिवर्तन के साथ-साथ कचरे के डंपिंग के कारण विलुप्त होने के गंभीर खतरे का सामना कर रहे हैं। अनुभवी पर्यावरणविद् रवि चोपड़ा की अध्यक्षता वाली 2019 की रिपोर्ट में चार धाम परियोजना को एक चालू सड़क परियोजना बताया गया है जो बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री के चार महत्वपूर्ण तीर्थ शहरों को हिमालय पर हमला के रूप में जोड़ेगी। समिति ने चार धाम परियोजना पर सड़क की चौड़ाई 5.5 मीटर तक सीमित करने की सिफारिश की। हालांकि, दिसंबर 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में सड़क की चौड़ाई 10 मीटर करने की अनुमति दी थी।


हिमालय में भूस्खलन

पर्यावरण शोधकर्ता अभिजीत मुखर्जी ने कहा कि हिमालय में भूस्खलन का एक प्राथमिक कारण यह है कि सड़क चौड़ीकरण चट्टानों का समर्थन करने वाले ढलानों के पैर की अंगुली को काट देता है। यह बदले में पर्वतीय क्षेत्र को अस्थिर करता है।


भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) में भूविज्ञान और भूभौतिकी के प्रोफेसर मुखर्जी ने बताया कि हाल के दिनों में उत्तराखंड-हिमाचल प्रदेश क्षेत्र में कई जलविद्युत परियोजनाओं का निर्माण किया जा रहा है, जिसमें बांध या बैराज का निर्माण शामिल है और इसके अपने खतरे हैं। हालांकि ये बांध या बैराज जलाशय बनाकर नदी को इंजीनियर करने के लिए महत्वपूर्ण हैं, लेकिन यह जो भी करता है वह नदियों के साथ ढलानों के प्राकृतिक हाइड्रोलॉजिकल संतुलन को परेशान करता है।


All Comments

No Comment Yet!!


Share Your Comment


टॉप न्यूज़