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Hindi News / indore / Grand and divine temple of Lord Ram being built in Ayodhya
अयोध्या में बन रहे भव्य राम मंदिर के भूमिपूजन को आज एक साल पूरा हो गया है। पिछले साल 5 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में भूमि पूजन में हिस्सा लिया था। अब एक साल पूरा होने के मौके पर आज अयोध्या में भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। भगवान राम की नगरी अयोध्या हजारों महापुरुषों की कर्मभूमि रही है। यह पवित्र भूमि हिन्दुओं के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। यहां पर भगवान राम का जन्म हुआ था। यह राम जन्मभूमि है। इस राम जन्मभूमि पर एक भव्य मंदिर बना था जिसे तोड़ दिया गया था।
अगस्त 2003 में पुरातात्विक विभाग के सर्वे में कहा गया कि जहां बाबरी मस्जिद बनी थी, वहां मंदिर होने के संकेत मिले हैं। भूमि के अंदर दबे खंबे और अन्य अवशेषों पर अंकित चिन्ह और मिली पॉटरी से मंदिर होने के सबूत मिले हैं। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा हर मिनट की वीडियोग्राफी और स्थिर चित्रण किया गया। इस खुदाई में कितनी ही दीवारें, फर्श और बराबर दूरी पर स्थित 50 जगहों से खंभों के आधारों की दो कतारें पाई गई थीं। एक शिव मंदिर भी दिखाई दिया। जीपीआरएस रिपोर्ट और भारतीय सर्वेक्षण विभाग की रिपोर्ट अब उच्च न्यायालय के रिकार्ड में दर्ज हैं। 30 सितम्बर, 2010 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खण्डपीठ ने विवादित ढांचे के संबंध में ऐतिहासिक निर्णय सुनाया। न्यायमूर्ति धर्मवीर शर्मा, न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल एवं न्यायमूर्ति एसयू खान ने एकमत से माना कि जहां रामलला विराजमान हैं, वही श्रीराम की जन्मभूमि है।
कैसी थी अयोध्या | अयोध्या पहले कौशल जनपद की राजधानी थी। वाल्मीकि कृत रामायण के बालकाण्ड में उल्लेख मिलता है कि अयोध्या 12 योजन-लम्बी और 3 योजन चौड़ी थी। वाल्मीकि रामायण में अयोध्या पुरी का वर्णन विस्तार से किया गया है। रामायण में अयोध्या नगरी के सरयु तट पर बसे होने और उस नगरी के भव्य एवं समृद्ध होने का उल्लेख मिलता है। वहां चौड़ी सड़के और भव्य महल थे। बगीचे और आम के बाग थे और साथ ही चौराहों पर लगने वाले बड़े बड़े स्तंभ थे। हर व्यक्ति का घर राजमहल जैसा था। यह महापुरी बारह योजन (96 मील) चौड़ी थी। इस नगरी में सुंदर, लंबी और चौड़ी सड़कें थीं। इन्द्र की अमरावती की तरह महाराज दशरथ ने उस पुरी को सजाया था।
क्या था जन्मभूमि का हाल
भगवान श्रीराम के जल समाधि लेने के पश्चात अयोध्या उजाड़-सी हो गई थी, लेकिन उनका महल वैसा ही था। भगवान श्रीराम के पुत्र कुश ने राजधानी अयोध्या का पुनर्निर्माण कराया। इसके बाद सूर्यवंश की अगली 44 पीढ़ियों तक इसका अस्तित्व आखिरी राजा, महाराजा बृहद्बल तक अपने चरम पर रहा। कौशलराज बृहद्बल की मृत्यु महाभारत युद्ध में अभिमन्यु के हाथों हुई थी। महाभारत के युद्ध के बाद अयोध्या उजाड़-सी हो गई, मगर श्रीराम जन्मभूमि का अस्तित्व फिर भी बना रहा।
किसने बनाया भव्य मंदिर
उल्लेख मिलता है कि ईसा के लगभग 100 वर्ष पूर्व उज्जैन के चक्रवर्ती सम्राट विक्रमादित्य अयोध्या पहुंचे। उन्हें यहां कुछ चमत्कार दिखाई देने लगे। योगी व संतों से उन्हें ज्ञात हुआ कि यह श्रीराम की अवध भूमि है। उनके निर्देश से सम्राट ने यहां एक भव्य मंदिर बनवाया। कहते हैं कि उन्होंने जन्मभूमि पर काले रंग के कसौटी पत्थर वाले 84 स्तंभों पर विशाल मंदिर का निर्माण करवाया था।
किसने करवाया जिर्णोद्धार
विक्रमादित्य के बाद शुंग वंश के पुष्यमित्र शुंग ने मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था। पुष्यमित्र का एक शिलालेख अयोध्या से प्राप्त हुआ था जिसमें उसे सेनापति कहा गया है तथा उसके द्वारा दो अश्वमेध यज्ञों के किए जाने का वर्णन है। अनेक अभिलेखों से ज्ञात होता है कि गुप्तवंशीय चन्द्रगुप्त द्वितीय के समय और काफी समय तक अयोध्या गुप्त साम्राज्य की राजधानी थी।
मंदिर का पतन
ईसा की 11वीं शताब्दी में कन्नौज नरेश जयचंद आया तो उसने मंदिर पर सम्राट विक्रमादित्य के प्रशस्ति शिलालेख को उखाड़कर अपना नाम लिखवा दिया। इसके बाद भारतवर्ष पर आक्रांताओं का आक्रमण और बढ़ गया। आक्रमणकारियों ने काशी, मथुरा के साथ ही अयोध्या में भी लूटपाट की और पुजारियों की हत्या कर मूर्तियां तोड़ने का क्रम जारी रखा।
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