Download Our App from
Hindi News / indore / Annual bribe of Rs 21 crore in RTO
अंकित शाह… खुलासा फर्स्ट… इंदौर
आरटीओ रामभरोसे चल रहा है, जिसमें भ्रष्टाचार का प्रकार चारों तरफ फैला हुआ है। जहां बाबू रामप्रकाश गौतम टू व्हीलर और फोर व्हीलर लाइसेंस प्रक्रिया में भ्रष्टाचार कर लगभग 21 करोड़ रुपए रिश्वत की बंदरबांट सालाना कर रहा हैं और यह सब अधिकारियों व भ्रष्ट बाबू गौतम की मिलीभगत से परिवहन विभाग के नियमों को ताक पर रखकर किया जा रहा है। साथ ही लर्निंग ड्राइविंग लाइसेंस, स्थायी डीएल, वाणिज्यिक डीएल या अंतरराष्ट्रीय ड्राइविंग परमिट जारी करने के साथ ही लाइसेंस नवीनीकरण या डुप्लीकेट लाइसेंस जारी करने जैसे कामों के लिए इंदौर आरटीओ अलग से रिश्वत लेता है।
कैसे होती है करोड़ों की बंदरबाट
आवेदक ड्राइविंग लाइसेंस के लिए 1100 रुपए में ऑनलाइन आवेदन करता है। फिर उसे ट्रॉयल देना होती है और यहीं से एवजियों के जाल में फंसता है। 2 हजार तक रिश्वत देने वाले आवेदक को लाइसेंस की कोई भी प्रक्रिया नहीं करना होती। उसका सीधे कंप्यूटर द्वारा फोटो लाइसेंस के लिए लिया जाता है और फाइल आगे बढ़ाकर लाइसेंस प्रभारी आरपी गौतम के पास पहुंचाई जाती है। बाबू गौतम रिश्वत वाली फाइल से पैसों का मिलान कर फाइल पास करता है, जिसके बाद फाइल आरटीओ अधिकारी के पास पहुंचती है। आरटीओ द्वारा फाइल ओके करने पर आवेदक का लाइसेंस बनता है। इसी तरह एक दिन में लगभग 250-300 लाइसेंस बनाए जाते हैं, जिसके अनुसार सालभर में लगभग 21 करोड़ ₹ रिश्वत के भ्रष्ट बाबू आरपी गौतम जनता से लेता है। जिसकी सभी में बंदरबांट होती है।
यह फाइल करना है और बन गई फाइल पर चिड़िया
इंदौर आरटीओ में रिश्वत के लिए अंग्रेजी के W लेटर का उपयोग किया जा है। जो एजेंट और एवजी जिस आवेदक का लाइसेंस बनवाने के लिए आता है उसकी फाइल देने से पहले संबंधित अधिकारी को कहता है कि यह फाइल W की है। जिस पर अधिकारी एक चिड़िया (पेन से गोल चिन्ह) बना देता है। और उस दिन के अनुसार रिश्वत की फाइल की संख्या और बटे में तारीख डालता है। फिर वो आवेदक की फाइल बिना किसी परीक्षण के पास कर दी जाती है। वहीं जो आवेदक ट्रायल देता है उसके पेपर पर बकायदा सील लगाई जाती है।
फाइल का होता है पूरा ईमानदारी से हिसाब
आरटीओ में इस रिश्वत के खेल में पूरी ईमानदारी के साथ फाइलों का हिसाब-किताब लिखा जाता है, साथ ही कुछ ऐसी फाइलें जो विशेष लोगों के जान पहचान के लोगों की होती है, उनका भी लेखा-जोखा तैयार किया जाता है। जिससे रिश्वत के पैसों के हिसाब-किताब में कोई गड़बड़ी नहीं हो सकें।
No Comment Yet!!
Copyright © 2022 Khulasa First Pvt. Ltd., All Rights Reserved
Design & Developed By Web Endeavours